History of Temple

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જગતજનની મા વરદાયીની ના એક માત્ર શાસ્ત્રોક્ત પૌરાણિક પુરાવા રૂપ માઇ મંદિર જે ભલે ૫૧ શક્તિપીઠના મુખ્ય સ્થાનક માં સ્થાન પ્રાપ્ય નથી. | જ્યાં દરેક શારદીય નવરાત્રી એટલે ગુજરાતીમાં આસો શુદ નવમી એટલે કે નવમા નવરાત્રી ની મધ્યરાત્રી બાદ વરદાયિની માતાજી નો સુપ્રસિધ્ધ પલ્લી માં લાખો મણ શુદ્ધ ઘી નો અભિષેક વરદાયિની માતા જી ની પલ્લી ઉપર લાખો ભાવિક ભક્તો પોતાની શ્રધ્ધા અને માં વરદાયિની ના આશિષ થી કૃત પલ્લવીત થયેલા ભાવિક ભક્તો દર વર્ષે પલ્લી યાત્રા માં અભિષેક કરે છે
Shri Vardayini Mata Yatra Dham
जगत जननी विश्वम्भरी माँ वरदायिनी की उतपति माँ नव दुर्गा से प्रागट्य के पहले कि हे । जब पृथ्वी और सभी लोक पर दुर्गम नामक दैत्य का कहर बरस रहा था इसी वख्त देवो सभी भयभीत थे । इस दृष्ट दानव दुर्गम ने सभी वेद पुराण शास्त्र धर्म सब को देवो से छीन लिया था । समस्त जीव श्रुष्टि और देवलोक स्वर्गलोक त्राहिमाम हो चुके थे । स्वयं ब्रह्मा जी के वरदान से दुर्गम दैत्य ने सभी को परेशान कर दिया था। वही ब्रह्मा जी को मौत के भय से दुर्गंम दैत्य से बचने के लिए बालक स्वरूप बन कर छिप कर माँ वरदायिनी की गोद मे बैठे थे ।और माँ ने दुर्गंम से ब्रह्माजी को बचाने हेतु अपना स्तनपान करवाया बाद में मा से देवो ने बिनती की इस दुर्गंम दैत्य से सब को मुक्त करवाने की माँ से वरदान मांगने आये थे।

स्वयं देवो को वरदान देने वाली माँ को वरदायिनी नाम से देवो ने पहली पुकार लगाई थी। इस लिए माँ वरदायिनी ने दुर्गंम दैत्य का संहार करने हेतु स्वयं अपने मे से ही नव दुर्गा का जन्म किया था। और भगवान शिव ने अपने रक्षक काल भैरव को माँ को युद्ध मे सहाय करने भेजा था।और माँ वरदायिनी को सभी देव ने अपनी आंतरिक शक्ति और अस्त्र शस्त्र प्रदान किया ।और माँ नवदुर्गा स्वरुप का प्रागट्य किया। और वही युद्व में दुर्गंम दैत्य का संहार भगवान विष्णु के सुदर्शन चक्र से दुर्गंम दैत्य का वध किया इसी फल स्वरूप देवताओ ने वरदायिनी माँ को दुर्गा नाम दिया और माँ की सहायक नौ देवीओ के नौ स्वरूप को नवदुर्गा नाम दिया।
इसलिए जगतजननी माँ वरदायिनी मूल स्वरूप प्रथम प्रागट्य महाशक्ति स्त्री शक्ति का प्रथम पूजनीय मातृ शक्ति रूपी देवी माँ वरदायिनी ही है। जग जननी माँ वरदायिनी का पवित्र ऐतिहासिक मंदिर गुजरात गांधीनगर से 13 किमी दूरी पर रूपाल गांव मे विद्यमान है ।

वरदायिनी मा का यह मंदिर वेद पुराण उपनिषद और प्रसिद्ध कुंजिका स्त्रोत्रमें ऐंकारी वरदायिनी मा ब्रह्माणी का स्वरूप नवदुर्गा में द्वितीय स्वरूप मा के दर्शन और वरदान से पांडव को महाभारत यद्ध में विजय प्राप्ती मिल पाई थी ।

और पांडव जब गुप्त वेश के अंतिम चरण में विराट नगरी में गए थे तब उन पांडवो ने अपने शस्त्र को इस मा वरदायिनी के मंदिर में वृक्ष के अंदर छिपा के रख दिये थे । वह वृक्ष भी आज यहां मौजूद है ।

और महाभारत के युद्ध के पश्चात पांडवो ने श्री कृष्ण भगवान द्वारा आयोजित यज्ञ में उस वख्त सुवर्ण सोने की पंच बलि बना कर माँ वरदायिनी को इस पंचबलि पल्ली पर शुद्ध घी का अभिषेक कर के मा वरदायिनी से महाभारत युद्ध में विजय वरदान को प्राप्त करने पर यह यज्ञ किया था। उस समय सदियो से आज भी ठीक उसी दिन वख्त अंतिम नवरात्रि की रात को यह वरदायिनी माँ की पल्ली हर साल निकलती है आज तक इस श्रद्धा यात्रा में कभी कोई ग्रहण नही लग पाया है । आइए आप सभी एक बार इस वरदायिनी मा की पल्ली पर दशहरा से शरद पूर्णिमा तक यह मंदिर में मा की पल्ली पर और नवनिर्मित यात्राधाम पर्यटन स्थान अद्भुत अद्वितीय मंदिर की पुनः संरचना में अपना अनुदान दे कर माँ के प्रति अपनी अपनी श्रद्धा सुमन भेंट कर के कृतघ्नता दर्शाए जय वरदायिनी माँ ।। यहाँ पर आसो सूद नवमी नवरात्रि की रात को मातारानी की पल्ली निकलती है ।( शारदीय नवरात्रि) हर साल लाखों क्विंटल शुद्ध घृत घी का अभिषेक भक्तों द्वारा मा वरदायिनी की पल्ली के ऊपर किया जाता है।

इस अद्भुत पल को देखने दर्शन करने के लिए लाखों श्रद्धालु दर्शन करने और माँ के ऊपर अपनी कृतघ्नता जता कर के पल्ली पर घी का अभिषेक करने उमट पड़ते है। और उस दिन पूरे गांव में जैसे घी की नदी बहती है इस तरह का दृश्य दिखाई पड़ता है । जय हो जय वरदायिनी मा की इस साल की पल्ली के दर्शन 2020 . पिछले साल 56 हजार क्विंटल शुद्ध घी का अभिषेक मा वरदायिनी की पल्ली पर हुआ था। जय हो शुभम भवतु। आप इस साल शरद पूर्णिमा तक पल्ली मंदिर पर रखी मा वरदायिनी की इस पवित्र पल्ली पर दर्शन कर के घी अभिषेक अब भी कर सकते है। और इस नए निर्मित मंदिर के दर्शन का भी अवसर प्राप्त कर सकते है।

गुजरात राज्य के श्री वरदायिनी माता देवस्थान संस्थान ट्रस्ट ने पौराणिक रूपापूरी नगरी यानी वर्तमान रूपाल के वरदायिनी माँ के पल्ली मंदिर को यात्राधाम के रूप में विकास करने हेतु यही रूपाल के मंदिर को औए इस मंदिर को प्रसिद्ध यात्राधाम अंबाजी ,गब्बर,पावागढ़ ,बहुचराजी, की तरह न सिर्फ यात्रधाम बल्कि इस मंदिर परिसर को एक पर्यटक स्थान के रूप में विकास करने हेतु ।मान सरोवर को सुंदर पिकनिक स्पॉट को तरह विकास करने का वादा केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित भाई शाह जी ने भी किया है ।

और अब पैराणिक वरदायिनी माँ मंदिर जो सिद्धराज जयसिंह गुजरात के पाटन गांव के राजा के द्वारा निर्मित को पूर्णतः नए संरचना के साथ गुलाबी बंसी पहाड़पूरी पथ्थर से निर्मित करके अद्भुत स्थापत्य और शिल्प कला से दर्शनीय मंदिर सोमपुरा मंदिर स्थापत्य शैली से निर्माण किया है । यही सोमपुरा स्थापत्य स्व अयोध्या में भगवानश्री राम के भव्यतिभव्य मंदिर का भी निर्माण कार्य कर रहे है।

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